पहले यह सोचना भी मुश्किल था कि एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, इमेजिंग टूल और बीमारियों के बारे में पता लगाने वाला टूल बनाया जा सकता है

हम दुनिया भर के स्वास्थ्य सेवा संगठनों के साथ पार्टनरशिप करके, एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले नए और बेहतर टूल बनाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. हमारा मकसद, बीमारियों का पता लगाने में स्वास्थ्यकर्मियों की मदद करना है. हम अलग-अलग तरह के डेटासेट, अच्छी क्वालिटी वाले लेबल, और मॉडर्न डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, ऐसे मॉडल बना रहे हैं जिनसे हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में, स्वास्थ्यकर्मियों को बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलेगी. हमारी टीम इस रिसर्च को नए आयामों तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रही है. हम यह भी साबित करेंगे कि एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, बीमारियों का पता लगाने के बेहतर और नए तरीके डेवलप किए जा सकते हैं.

मां और बेटी ने एक-दूसरे को गले लगाया हुआ है

त्वचा की बीमारियों की जानकारी को सब लोगों तक पहुंचाना

त्वचा की बीमारियों की जानकारी को सब लोगों तक पहुंचाना

हम कंप्यूटर विज़न एआई (AI) और इमेज खोजने की सुविधाओं का इस्तेमाल करके एक टूल बना रहे हैं. इससे लोगों को अपनी त्वचा, बालों, और नाखूनों की बीमारियों के बारे में ज़्यादा जानकारी पाने और उनकी पहचान करने में मदद मिलेगी. इस टूल में सैकड़ों समस्याओं की जानकारी है. इसमें 80% से भी ज़्यादा ऐसी समस्याएं शामिल हैं जिनके लिए लोग डॉक्टर के पास जाते हैं. साथ ही, 90% से ज़्यादा ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें इंटरनेट पर सबसे ज़्यादा खोजा जाता है. हमारे इस काम को Nature Medicine और JAMA Network Open में हाइलाइट किया गया है. ज़्यादा जानें

फेफड़े के कैंसर का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल

फेफड़े के कैंसर का पहले से पता लगाने के लिए एक बेहतर कदम

दुनिया भर में फेफड़े के कैंसर से हर साल, 18 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत होती है. कैंसर से मरने वाला हर पांचवां व्यक्ति, फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होता है. यह कैंसर से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह है. Nature Medicine में पब्लिश हुई हमारी रिसर्च में डीप लर्निंग के बारे में बताया गया है. इसके ज़रिए डॉक्टर, फेफड़े के कैंसर की जांच बेहतर तरीके से कर सकते हैं. साथ ही, किसी दूसरी बीमारी की जांच के दौरान फेफड़े के कैंसर का भी पता लगा सकते हैं. यह पोस्ट पढ़ें

आंखों की समस्याओं को छोड़कर, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए नए बायोमार्कर

अनीमिया के लक्षणों का पता लगाना

आंख की जांच करके, अनीमिया के लक्षणों का पता लगाना

आंख की जांच करके, अनीमिया (खून की कमी) जैसे रोग का पता चल सकता है. अनीमिया की वजह से, दुनिया भर में 1.6 अरब लोगों को थकान और कमज़ोरी महसूस होती है. साथ ही, चक्कर और बहुत ज़्यादा नींद भी आती है. Nature Biomedical Engineering में पब्लिश हुए लेख के मुताबिक, हम डीप लर्निंग का इस्तेमाल करके, हीमोग्लोबिन के स्तर को मापने में कामयाब रहे. साथ ही, हम आंख के पिछले हिस्से की डी-आइडेंटिफ़ाइड फ़ोटो का इस्तेमाल करके, अनीमिया की पहचान भी कर पाए. इस नतीजे से यह पता चलता है कि आने वाले समय में, डॉक्टर एक मामूली से नॉन-इनवेसिव स्क्रीनिंग टूल का इस्तेमाल करके, अनीमिया जैसे रोग का पता लगा पाएंगे. यह पोस्ट पढ़ें

स्तन कैंसर का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल

क्लिनिकल प्रैक्टिस

इस बारे में अध्ययन करना कि स्तन कैंसर की जांच में एआई (AI) किस तरह मदद कर सकता है

स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने में जांच से मदद मिलती है. हालांकि, इस कैंसर का लगातार और बेहतर तरीके से पता लगाना, अब भी बहुत चुनौती भरा काम है. यही वजह है कि पिछले दस सालों में ऐसे जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें से करीब 50% महिलाओं के नतीजे फ़ॉल्स पॉज़िटिव रहे हैं. Nature में पब्लिश हुई हमारी रिसर्च में दिखाया गया है कि हमारा एआई (AI) मॉडल, स्वास्थ्यकर्मियों की ही तरह या उनसे भी बेहतर तरीके से, डी-आइडेंटिफ़ाइड स्क्रीनिंग मैमोग्राम का विश्लेषण कर सकता है. हम जांच करने वाले डिवाइस से जुड़ी रिसर्च में दूसरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि समझ सकें कि यह मॉडल, क्लिनिकल प्रैक्टिस में मैमोग्राफ़ी जांच से बीमारी का पता लगाने में लगने वाले समय को कम करने में किस तरह मदद कर सकता है. इसमें, आकलन के समय को कम करना और मरीज़ों के अनुभव को बेहतर बनाना भी शामिल है. यह पोस्ट पढ़ें

आंख के बाहरी हिस्से की इमेज देखकर बीमारी के लक्षणों का पता लगाना

इस बारे में रिसर्च करना कि बीमारी का पता लगाने के लिए, आंख के बाहरी हिस्से की इमेज का इस्तेमाल किस तरह किया जाए कि खास इक्विपमेंट इस्तेमाल करने की ज़रूरत कम पड़े

हम रिसर्च कर रहे हैं और ऐसे एआई मॉडल बना रहे हैं जो रेटिना की इमेज के साथ-साथ, आंख के बाहरी हिस्से की इमेज से मिलने वाली ज़रूरी जानकारी को भी समझ सकें. द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल में पब्लिश हुई हमारी रिसर्च में बताया गया है कि डीप लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल करके, आंख के बाहरी हिस्से की इमेज से ही डायबेटिक रेटिनोपैथी और HbA1c या eGFR जैसे अन्य बायोमार्कर का पता लगाया जा सकता है. इससे, बीमारी का पता लगाने के लिए खास इक्विपमेंट इस्तेमाल करने की ज़रूरत कम हो सकती है. साथ ही, डायबिटीज़ या अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों की बढ़ती आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं. यह पोस्ट पढ़ें

इमेजिंग और डाइग्नोस्टिक्स के क्षेत्र में बेहतर रिसर्च

हम अन्य क्षेत्रों में भी, एआई (AI)-आधारित इमेजिंग टेक्नोलॉजी की रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि इसकी मदद से, बीमारियों का पता लगाने के लिए बेहतर और नए तरीके डेवलप किए जा सकते हैं.

एआई (AI) का विकास

रेडियोथेरेपी करने की क्षमता बढ़ाने के लिए, एआई (AI) पर आधारित बेहतर टूल बनाने पर रिसर्च करना

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल के साथ की गई रिसर्च को JMIR Publications में पब्लिश किया गया है. इसमें बताया गया है कि हम मेयो क्लिनिक के साथ मिलकर, एआई (AI) के इस्तेमाल पर अध्ययन कर रहे हैं, ताकि डॉक्टरों को कैंसर के इलाज के तौर पर रेडियोथेरेपी करने में मदद मिल सके. इलाज में लगने वाले समय को कम करने और रेडियोथेरेपी करने की क्षमता बढ़ाने के लिए, डॉक्टरों को ट्यूमर से काम के टिशू और अंगों को अलग करने में मदद करने के लिए रिसर्च, ट्रेनिंग, और एल्गोरिदम की पुष्टि करने में हमने साथ मिलकर काम किया है. हमें उम्मीद है कि इससे, डॉक्टरों को इलाज के लिए योजना बनाने में कम समय लगेगा और वे मरीज़ों को ज़्यादा समय दे पाएंगे. यह पोस्ट पढ़ें