अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग के लिए एआई का इस्तेमाल करना
एआई की मदद से, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग की सुविधा देना
अल्ट्रासाउंड एक तरह का टूल है. इसकी मदद से शरीर के प्रमुख अंगों की रीयल-टाइम में स्कैनिंग की जाती है, जिससे बीमारी का जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है. हम आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल डेवलप कर रहे हैं, ताकि अल्ट्रासाउंड इमेज को देखकर स्वास्थ्य से जुड़ी ज़रूरी जानकारी आसानी से हासिल की जा सके. हम चाहते हैं कि उन इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें जहां प्रशिक्षित सोनोग्राफ़र की कमी है.
अल्ट्रासाउंड कराने का खर्च कम हो गया है, लेकिन अब भी बहुत सी महिलाओं को यह सुविधा नहीं मिल पाती
सेंसर टेक्नोलॉजी में हुए डेवलपमेंट की वजह से, अल्ट्रासाउंड डिवाइस पहले से सस्ते होने के साथ-साथ पोर्टेबल भी हो गए हैं. इन्हें आसानी के साथ सीधे स्मार्टफ़ोन से जोड़ा जा सकता है. इसकी वजह से, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है. अब अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग की सुविधा कम संसाधन वाले इलाकों में भी उपलब्ध है.
हालांकि, अल्ट्रासाउंड को कैप्चर करना और उसे समझना, एक जटिल मेडिकल इमेजिंग तकनीक है. इसे सीखने के लिए सालों की ट्रेनिंग और अनुभव की ज़रूरत होती है. कई इलाकों में प्रशिक्षित सोनोग्राफ़र की कमी है. इसका खामियाज़ा उन इलाकों के लोगों को भुगतना पड़ता है. उदाहरण के लिए, कम संसाधनों वाले इलाकों की तकरीबन 50% महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग की सुविधा नहीं मिल पाती. इस वजह से, प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगाने और उनका इलाज करने में देरी होती है. नतीजतन, ऐसी महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे की सेहत पर बहुत खराब असर पड़ सकता है.
हमारी रिसर्च से पता चलता है कि एआई, स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी उतने ही सटीक तरीके से देता है जितना कि एक प्रशिक्षित सोनोग्राफ़र
हम ऐसे एआई मॉडल बना रहे हैं जिनकी मदद से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिलेगी. इनका इस्तेमाल करके, ऐसे लोग भी अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग कर पाएंगे जिन्होंने अल्ट्रासोनोग्राफ़ी की ट्रेनिंग नहीं ली है. हाल ही में पब्लिश किए गए पेपर में हमने बताया है कि हमारे ब्लाइंड स्वीप प्रोटोकॉल की मदद से, बिना किसी अनुभव वाले लोग भी, सोनोग्राफ़र की तरह ही अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग कर सकते हैं. आसानी से सीखे जा सकने वाले इस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करके, वे भ्रूण की उम्र और उसकी पोज़िशन जैसी ज़रूरी जानकारी दे सकते हैं. इसकी मदद से, मिडवाइफ़, स्वास्थ्य कर्मचारी या कोई अन्य सामान्य व्यक्ति भी अल्ट्रासाउंड इमेज को देखकर, गर्भवती महिलाओं और भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकता है.
ट्रेनिंग देने के लिए, हज़ारों डी-आइडेंटिफ़ाइड अल्ट्रासाउंड इमेज का इस्तेमाल किया जाता है
हम अपने एआई मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए, भ्रूण और स्तन की हज़ारों अल्ट्रासाउंड इमेज का इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि हमारा मॉडल, भ्रूण और स्तन के सामान्य और असामान्य लक्षणों की आसानी से पहचान कर लेता है. हमारा मॉडल, विज़ुअल संकेतों की मदद से भ्रूण की उम्र, उसकी पोज़िशन, स्तन की डेंसिटी वगैरह का पता लगाता है. यह टेक्नोलॉजी, अल्ट्रासाउंड स्कैन का उतना ही सटीक तरीके से विश्लेषण करती है जितना कि प्रशिक्षित अल्ट्रासोनोग्राफ़र.
अपनी रिसर्च की पुष्टि कराने के लिए, हम नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के साथ काम कर रहे हैं
हम अपनी बुनियादी एआई टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाने के लिए लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं. साथ ही, इसके बारे में आम लोगों को जानकारी देने के लिए हम इसका रिसर्च स्टडी ओपन-ऐक्सेस भी दे रहे हैं. इसके अलावा, हमने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के साथ पार्टनरशिप भी की है, ताकि इन मॉडल को ज़्यादा बेहतर बनाया जा सके और इन्हें टेस्ट किया जा सके. हम चाहते हैं कि हमारे एआई मॉडल से हर किसी को फ़ायदा मिले. इसके लिए, हम अलग-अलग बैकग्राउंड के लोगों के साथ काम कर रहे हैं. हम ऐसे एआई मॉडल बनाना चाहते हैं जिन्हें हर तरह के लोग ऑपरेट कर सकें. साथ ही, इन्हें तरह-तरह की टेक्नोलॉजी के साथ इस्तेमाल किया जा सके.
प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी
“गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे की सेहत के बारे में ज़रूरी जानकारी पाने के लिए, ऑब्स्टेट्रिक अल्ट्रासाउंड कराना बेहद ज़रूरी है. फिर भी, दुनिया भर की आधी गर्भवती महिलाओं को यह सुविधा नहीं मिल पाती. इसी बात को ध्यान में रखते हुए, हम एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कुछ टूल डेवलप कर रहे हैं, ताकि सेहत के जुड़े जोखिमों को हाइलाइट किया जा सके. हम चाहते हैं कि उन इलाकों की गर्भवती महिलाओं को भी अल्ट्रासाउंड के फ़ायदे मिल सकें जहां प्रशिक्षित ऑपरेटर की कमी है.”
गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा देने के लिए जैकरान्डा हेल्थ के साथ पार्टनरशिप
जैकरान्डा हेल्थ, केन्या की एक गैर-लाभकारी संस्था है. यह संस्था, सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए काम करती है. उप-सहारा अफ़्रीका में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मरने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ज़्यादा है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि इन इलाकों में परंपरागत तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली महंगी अल्ट्रासाउंड मशीन को चलाने के लिए प्रशिक्षित वर्कर की कमी है. इस पार्टनरशिप की मदद से, हम एक रिसर्च कर रहे हैं. हम यह जानना चाहते हैं कि फ़िलहाल केन्या में अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किस तरह किया जाता है. हम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि नए एआई टूल की मदद से हम किस तरह वहां की गर्भवती महिलाओं को उनके इलाके में अल्ट्रासाउंड की सुविधा दे सकते हैं.
स्तन के अल्ट्रासाउंड के लिए, चांग गुंग मेमोलियल हॉस्पिटल के साथ पार्टनरशिप
मैमोग्राम की मदद से स्तन कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह एक महंगी तकनीक है. इसी वजह से, सभी महिलाएं इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर पातीं. इसके अलावा, मैमोग्राम उन इलाकों की महिलाओं के लिए उतना कारगर नहीं होता जिन इलाकों की महिलाओं की स्तन की डेंसिटी ज़्यादा होती है. नतीजतन, शुरुआती चरण में कैंसर का पता लगाना मुश्किल होता है. हम ताइवान में सीजीएमएच हॉस्पिटल के साथ पार्टनरशिप कर रहे हैं. इसकी मदद से हम यह जानना चाहते हैं कि हमारे एआई मॉडल अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके, किस तरह स्तन कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगा सकते हैं.