दृष्टिहीनता को रोकने में मदद करने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल करना

Automated Retinal Disease Assessment (ARDA), आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके स्वास्थ्यकर्मियों को डायबेटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने में मदद करता है. इससे यह संभावना भी है कि आने वाले समय में एआई एल्गोरिदम, अन्य बीमारियों की पहचान करने में भी स्वास्थ्यकर्मियों की मदद कर सकते हैं.

एक आदमी, मेडिकल डिवाइस में देख रहा है

नेत्र विज्ञान में, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल एक कठिन चुनौती है

डायबिटिक रेटिनोपैथी से रेटिना के पिछले हिस्से में घाव हो जाता है जिससे व्यक्ति पूरी तरह दृष्टिहीन हो सकता है. मधुमेह से पीड़ित लोगों की शुरुआत में ही जांच करना ज़रूरी होता है, लेकिन दुनिया भर में 42 करोड़ से ज़्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं. ऐसे में हर मरीज़ की जांच करना मुश्किल होगा. बीमारी के बारे में जागरूकता और इसकी जांच के लिए ज़रूरी संसाधनों की कमी, दोनों ही बड़ी समस्याएं हैं.

एआई (AI) को बीमारी का पता लगाने के बारे में सिखाना

JAMA में पब्लिश रिसर्च पेपर में, Google की आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ने डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए, रेटिनल स्कैन का एकदम सही नतीजा निकाला था. AI मॉडल के लिए डेटा सेट तैयार करना, सबसे मुश्किल काम था. इसके लिए नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम को बीमारी की गंभीरता के अलग-अलग ग्रेड के हिसाब से, स्कैन की एक-एक करके स्कोरिंग और लेबलिंग करनी थी.

एक आदमी, स्क्रीन पर आई स्कैनर में देख रहा है

डायबेटिक रेटिनोपैथी की जांच करने वाला टूल डेवलप करना

Google ने नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम के साथ काम किया. इस टीम ने 1,00,000 से ज़्यादा डी-आइडेंटिफ़ाइड रेटिनल स्कैन की मैन्युअल तरीके से समीक्षा करके, एआई (AI) मॉडल को ट्रेनिंग देने में हमारी मदद की. इससे हमें Automated Retinal Disease Assessment (ARDA) ऐप्लिकेशन बनाने में मदद मिली, जो एआई के आधार पर काम करता है. यह ऐप्लिकेशन बड़े स्तर पर, डॉक्टरों को उन देशों में डायबेटिक रेटिनोपैथी की बेहतर तरीके से जांच करने में मदद कर सकता है जहां नेत्र विशेषज्ञों की कमी है. जैसे, भारत और थाईलैंड.

डॉ॰ लिली पेंग की इमेज

डॉ॰ लिली पेंग, एआई (AI) टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली टीम का नेतृत्व कर रही हैं

इन्हें Fortune ने हेल्थकेयर के क्षेत्र में उभरते लीडर की “40 Under 40” सूची में शामिल किया है.

हेल्थकेयर के क्षेत्र में एआई इस्तेमाल करने का मकसद, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है

एक आदमी, डॉक्टर से अपनी आंखों की जांच करा रहा है

दुनिया भर में डिप्लॉय किया गया

हमारे इस ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल, भारत और यूरोपीय संघ में डायबेटिक रेटिनोपैथी की जांच के लिए किया जा रहा है. फ़िलहाल, संयुक्त राज्य अमेरिका और थाईलैंड में, क्लिनिकल स्टडी में इस ऐप्लिकेशन की जांच की जा रही है. हम इसे दुनिया भर में उपलब्ध कराने के लिए कई पार्टनर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. खास तौर पर, उन इलाकों में जहां आम लोगों को विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं.

डायग्नोस्टिक टूल का फ़्यूचर

हमें उम्मीद है कि मधुमेह के कई और मरीज़, Automated Retinal Disease Assessment के ज़रिए डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने में डॉक्टरों की मदद करते हुए अपनी आंखों की रोशनी कुछ हद तक बचा सकते हैं.. गंभीर बीमारियों का पता लगाने वाले एआई (AI) एल्गोरिदम की निरंतर संभावनाओं पर हमारी शुरुआती रिसर्च उत्साहजनक रही है. इससे हम एक ऐसी दुनिया की उम्मीद कर सकते हैं जिसमें सरल स्क्रीनिंग टूल का इस्तेमाल करके बीमारियों की पहचान की जा सकेगी. और पढ़ें

Healed through A.I. | The Age of A.I.

हमारा शरीर बीमारियों से हमेशा-हमेशा के लिए बचा नहीं रह सकता, लेकिन एआई (AI) रिसर्च साइंटिस्ट इन बीमारियों से निपटने के तरीके खोजने में जुटे हुए हैं. उदाहरण के लिए, आंख के ज़रिए डायबेटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने के बारे में की जा रही रिसर्च.

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