पहले यह सोचना भी मुश्किल था कि एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, इमेजिंग टूल और बीमारियों के बारे में पता लगाने वाला टूल बनाया जा सकता है

हम दुनिया भर के स्वास्थ्य सेवा संगठनों के साथ पार्टनरशिप करके, एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले नए और बेहतर टूल बनाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. हमारा मकसद, बीमारियों का पता लगाने में स्वास्थ्यकर्मियों की मदद करना है. हम अलग-अलग तरह के डेटासेट, अच्छी क्वालिटी वाले लेबल, और मॉडर्न डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, ऐसे मॉडल बना रहे हैं जिनसे हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में, स्वास्थ्यकर्मियों को बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलेगी. हमारी टीम इस रिसर्च को नए आयामों तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रही है. हम यह भी साबित करेंगे कि एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, बीमारियों का पता लगाने के बेहतर और नए तरीके डेवलप किए जा सकते हैं.

मां और बेटी ने एक-दूसरे को गले लगाया हुआ है

इस प्रॉडक्ट को यूरोपीय संघ (ईयू) में सीई-सर्टिफ़िकेट दिया गया है. इसका मतलब है कि यह क्लास I मेडिकल डिवाइस है. यह प्रॉडक्ट, संयुक्त राज्य अमेरिका में उपलब्ध नहीं है.

त्वचा की बीमारियों की जानकारी को सब लोगों तक पहुंचाना

हम कंप्यूटर विज़न एआई (AI) और इमेज खोजने की सुविधाओं का इस्तेमाल करके एक टूल बना रहे हैं. इससे लोगों को अपनी त्वचा, बालों, और नाखूनों से जुड़ी स्थितियों को बेहतर तरीके से देखने और पहचानने में मदद मिलेगी. इस टूल में सैकड़ों स्थितियों की जानकारी है. इसमें 80% से भी ज़्यादा ऐसी स्थितियां शामिल हैं जिनके लिए लोग डॉक्टर के पास जाते हैं. साथ ही, 90% से ज़्यादा ऐसी स्थितियां हैं जिन्हें इंटरनेट पर सबसे ज़्यादा खोजा जाता है. इस टूल के बारे में, नेचर मेडिसिन जर्नल और जामा नेटवर्क ओपन जर्नल में खास तौर पर बताया गया है. ज़्यादा जानें

आंखों की बीमारियों की जांच और उनके इलाज में डॉक्टरों की मदद करने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल

एआई (AI) की मदद से अनुमान लगाना

दृष्टिहीनता से बचाव करना

एआई (AI) की मदद से अनुमान लगाना

एआई (AI) तकनीक का इस्तेमाल करके, आंख को नुकसान पहुंचाने वाली समस्याओं का पता लगाने का तरीका

दुनिया भर में अंधेपन की तीसरी सबसे बड़ी वजह, उम्र से जुड़ा मैक्युलर डीजनरेशन है. अगर इसका पता जल्दी चल जाता है, तो अंधेपन से पूरी तरह बचा जा सकता है या इस प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है. नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हमारे शोध में बताया गया है कि हमारा एआई (AI) सिस्टम, दुनिया के बेहतरीन चिकित्सा विशेषज्ञों की तरह इसकी सटीक जानकारी देता है कि आंख से जुड़ी 50 से भी ज़्यादा बीमारियों और स्थितियों का इलाज कैसे करना है. नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश एक अन्य शोध में, हमारे एक बेहतर एआई (AI) मॉडल के बारे में बताया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस मॉडल का इस्तेमाल करके, छह महीने या इससे कम समय में ही वेट-टाइप एएमडी के बढ़ने का पता लगाया जा सकता है.

दृष्टिहीनता से बचाव करना

दृष्टिहीनता की रोकथाम में डॉक्टरों की मदद करना

एआई (AI) तकनीक पर आधारित हमारी Automated Retinal Disease Assessment (ARDA) टेक्नोलॉजी पहले से ही भारत और थाईलैंड के क्लिनिक में इस्तेमाल की जा रही है. इससे डॉक्टरों को अंधेपन की एक मुख्य वजह, डायबेटिक रेटिनोपैथी का जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है. अगर इस ARDA टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है, तो डायबिटीज़ के लाखों मरीज़ों को अंधेपन से बचाया जा सकता है. इसके लिए, ARDA टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने वाले डॉक्टरों को भी धन्यवाद देना चाहिए. यह शोध, जामा नेटवर्क ओपन जर्नल और Ophthalmology में पब्लिश हुआ था. लांसिट डिजिटल हेल्थ जर्नल में पब्लिश एक अन्य शोध में बताया गया है कि ARDA टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में किसी मरीज़ को डायबेटिक रेटिनोपैथी होगी या नहीं. यह पता चलने पर, डॉक्टरों को इस तरह के मरीज़ों की आंखों की जांच और इलाज करने में मदद मिलेगी. साथ ही, वे यह भी तय कर पाएंगे कि ऐसे मरीज़ों की आंखों की जांच कितनी बार होनी चाहिए. ज़्यादा जानें

आंखों की समस्याओं को छोड़कर, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए नए बायोमार्कर

अनीमिया के लक्षणों का पता लगाना

कंप्यूटर विज़न

अनीमिया के लक्षणों का पता लगाना

आंख की जांच करके, अनीमिया के लक्षणों का पता लगाना

मानव आंख की जांच करके, ऐनीमिया (खून की कमी) जैसी स्थितियों का पता चल सकता है. ऐनीमिया की वजह से, दुनिया भर में 1.6 अरब लोगों को थकान और कमज़ोरी महसूस होती है. साथ ही, चक्कर और बहुत ज़्यादा नींद भी आती है. नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में पब्लिश हुए एक शोध के लिए, हम डीप लर्निंग तकनीकों का इस्तेमाल करके हीमोग्लोबिन के स्तर को मापने में कामयाब रहे. साथ ही, हमने आंख के पिछले हिस्से की डी-आइडेंटिफ़ाइड फ़ोटो (ऐसी फ़ोटो जिसमें किसी व्यक्ति की पहचान से जुड़ी जानकारी न हो) का इस्तेमाल करके, ऐनीमिया की पहचान भी की थी. इस नतीजे से यह पता चलता है कि आने वाले समय में, डॉक्टर एक साधारण से नॉन-इनवेसिव स्क्रीनिंग टूल का इस्तेमाल करके, ऐनीमिया जैसी स्थितियों या बीमारियों का पता लगा पाएंगे. यह पोस्ट पढ़ें

कंप्यूटर विज़न

हृदय से जुड़ी बीमारियों के जोखिम का आकलन करने के लिए, कंप्यूटर विज़न का इस्तेमाल करना

मरीज़ों को हृदय से जुड़ी बीमारियां होने के जोखिम का आकलन करना, आने वाले समय में इन बीमारियों के होने की आशंका को कम करने की दिशा में पहला और सबसे अहम कदम है. जैसा कि नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में पब्लिश हुए हमारे शोध में बताया गया है, रेटिना की इमेज पर डीप लर्निंग तकनीकों को लागू करके, हमें हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियां (दिल का दौरा, स्ट्रोक वगैरह) होने के जोखिम से जुड़ी स्थितियों का पता चलता है. हमारा शोध, एक खास हाइपोथीसिस डेवलप करने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकता है. इससे, आने वाले समय में इस विषय में अलग-अलग तरह के शोध को बढ़ावा मिलेगा. यह पोस्ट पढ़ें

फेफड़े के कैंसर का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल

फेफड़े के कैंसर का पहले से पता लगाने के लिए एक बेहतर कदम

दुनिया भर में फेफड़े के कैंसर से हर साल, 18 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत होती है. कैंसर से मरने वाला हर पांचवां व्यक्ति, फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होता है. यह कैंसर से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह है. नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई हमारी रिसर्च में बताया गया है कि आने वाले समय में डीप लर्निंग सिस्टम के इस्तेमाल से, डॉक्टरों को फेफड़े के कैंसर की बेहतर तरीके से जांच करने में मदद मिलेगी. साथ ही, किसी अन्य बीमारी की जांच के दौरान फेफड़े के कैंसर का पता लगाने में भी मदद मिलेगी. यह पोस्ट पढ़ें

स्तन कैंसर का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल

क्लिनिकल प्रैक्टिस

डीप लर्निंग

क्लिनिकल प्रैक्टिस

इस बारे में अध्ययन करना कि स्तन कैंसर की जांच में एआई (AI) किस तरह मदद कर सकता है

स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने में जांच से मदद मिलती है. हालांकि, इस कैंसर का लगातार और बेहतर तरीके से पता लगाना, अब भी बहुत चुनौती भरा काम है. यही वजह है कि पिछले दस सालों में ऐसे जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें से करीब 50% महिलाओं के नतीजे फ़ॉल्स पॉज़िटिव रहे हैं. हम जांच के लिए, डॉक्टरों की ही तरह या उनसे भी बेहतर तरीके से, स्तन की एक्स-रे इमेज (मैमोग्राम) लेने में कामयाब रहे हैं. इसके लिए, हमने अपना एआई (AI) मॉडल इस्तेमाल किया था. इसकी जानकारी, नेचर मेडिसिन जर्नल में दी गई है. हम इस प्रक्रिया में शामिल महिलाओं की पहचान से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं करते. हम जांच करने वाले डिवाइस से जुड़ी रिसर्च में दूसरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि समझ सकें कि यह मॉडल, क्लिनिकल प्रैक्टिस में मैमोग्राफ़ी जांच से बीमारी का पता लगाने में लगने वाले समय को कम करने में किस तरह मदद कर सकता है. इसमें, आकलन के समय को कम करना और मरीज़ों के अनुभव को बेहतर बनाना भी शामिल है. यह पोस्ट पढ़ें

डीप लर्निंग

मेटास्टैटिक स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए, डीप लर्निंग सिस्टम का इस्तेमाल करना

आर्काइव्स ऑफ़ पैथोलॉजी ऐंड लैबाेरेट्री मेडिसिन जर्नल और द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ सर्जिकल पैथोलॉजी में पब्लिश हुई हमारी पैथोलॉजी रिसर्च में बताया गया है कि मेटास्टैटिक स्तन कैंसर का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए, प्रूफ़-ऑफ़-कॉन्सेप्ट असिस्टेंस टूल (LYNA) और डीप लर्निंग मॉडल को साथ में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पोस्ट पढ़ें

इमेजिंग और डाइग्नोस्टिक्स के क्षेत्र में बेहतर रिसर्च

हम अन्य क्षेत्रों में भी, एआई (AI)-आधारित इमेजिंग टेक्नोलॉजी की रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि इसकी मदद से, बीमारियों का पता लगाने के लिए बेहतर और नए तरीके डेवलप किए जा सकते हैं.

एआई (AI) ऐडवांसेज़

एआई (AI) लर्निंग

एआई (AI) डाइग्नोसिस

एआई (AI) ऐडवांसेज़

रेडियोथेरेपी करने की क्षमता बढ़ाने के लिए, एआई (AI) पर आधारित बेहतर टूल बनाने पर रिसर्च करना

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंडन हॉस्पिटल्स के साथ की गई रिसर्च को जेएमआईआर पब्लिकेशंस जर्नल में पब्लिश किया गया है. इसमें बताया गया है कि हम मेयो क्लिनिक के साथ मिलकर, एआई (AI) के इस्तेमाल पर अध्ययन कर रहे हैं, ताकि डॉक्टरों को कैंसर के इलाज के तौर पर रेडियोथेरेपी (विकिरण चिकित्सा) करने में मदद मिल सके. इलाज में लगने वाले समय को कम करने और रेडियोथेरेपी करने की क्षमता बढ़ाने के लिए, डॉक्टरों को ट्यूमर से स्वस्थ ऊतकों और अंगों को अलग करने में मदद करने के लिए रिसर्च, ट्रेनिंग, और एल्गोरिदम की पुष्टि करने में हमने साथ मिलकर काम किया है. हमें उम्मीद है कि इससे, डॉक्टरों को इलाज के लिए योजना बनाने में कम समय लगेगा और वे मरीज़ों को ज़्यादा समय दे पाएंगे. यह पोस्ट पढ़ें

एआई (AI) लर्निंग

कोलोनोस्कोपी में गलत जांच का पता लगाने के लिए, मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करना

कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी) एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है. यह अमेरिका में कैंसर का दूसरा सबसे घातक वैरिएंट है. एक अनुमान के मुताबिक, इस कैंसर से हर साल करीब नौ लाख लोगों की मौत होती है. IEEE ट्रांजेक्शन ऑन मेडिकल इमेजिंग जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे एल्गोरिदम की मदद से डॉक्टरों को किसी व्यक्ति की आंतों में होने वाले बदलाव का पता चलता है. इस एल्गोरिदम में, ग्रंथियों को खोजने की बेहतर क्षमता है. इसलिए, ग्रंथियों को खोजने की दर बढ़ जाती है और कोलोरेक्टल कैंसर की दर कम हो जाती है. यह पोस्ट पढ़ें

एआई (AI) डाइग्नोसिस

प्रोस्टेट कैंसर की गंभीरता का पता लगाने के लिए, एआई (AI) का इस्तेमाल करना

प्रोस्टेट कैंसर की गंभीरता का पता लगाने के लिए, बायोप्सी के नतीजों का विश्लेषण किया जाता है. इसके बाद, मरीज़ों को एक ग्लीसन ग्रेड दिया जाता है. इस ग्रेड का आकलन, स्वस्थ कोशिकाओं के साथ तुलना के आधार पर किया जाता है. जामा ऑन्कोलॉजी जर्नल और जामा नेटवर्क ओपन जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक, हमने पता लगाया कि एआई (AI) सिस्टम, प्रोस्टेट बायोप्सी के लिए ग्लीसन ग्रेड का आकलन कर सकता है या नहीं. हमारे नतीजों ने यह साबित किया है कि डीप लर्निंग सिस्टम में विशेषज्ञों की तरह, बीमारियों का पता लगाने की क्षमता है. यह पोस्ट पढ़ें